स्मार्टफोन के अधिक इस्तेमाल और बाहरी गतिविधियों के कम होने से बच्चों को मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष मामले लगातार बढ़ रहे हैं इस बीमारी में दूर की वस्तुएं ठीक से नहीं दिखाई देती है !
नेत्र रोग विभाग के प्रोफेसर जीवन एस. टिटियाल (एम्स दिल्ली) के मुताबिक यदि बच्चों को डिजिटल स्क्रीन की लत और इस पर निर्भरता इसी तरह रहा तो 2050 तक देश में 50 फ़ीसदी बच्चे मायोपिया से ग्रसित हो सकते हैं उनका दावा या भी है कि ऐसा होने से नजर कमजोर जल्द हो जाएगा । इस वजह से देश की आधी जनसंख्या सेना और शस्त्र बल जैसे काम के लिए आयोग हो जाएगी । ऐसे में एम्स के बाल नेत्र रोग विभाग के डॉक्टर देशभर में 63 विशेष शक्तियों की टीम के साथ मिलकर बच्चों में मायोपिया की बीमारी रोकने के लिए दिशा निर्देश बनाए हैं ।
एम्स का दावा है की 2050 तक आधी आबादी दृष्टी रोग से पीड़ित हो शकते है ।
राजधानी दिल्ली में 15% निकट दृष्टि रोग से पीड़ित है
भारत में 5 साल से 15 साल की आयु वर्ग के वर्ग के बच्चों में शहरी आबादी में ग्रामीण इलाकों के मुकाबले मायोपिया के मामले अधिक है ।